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naya saal new year

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तुझे नया साल मुबारक हो शफ्फाफ परों को पुर कैफ फ़ज़ा में लहरा कर ... शाम के सिरहाने वादी के उस पार ... जब आफताब ज़र्द हो कर आसमान की हथेली पर सुरमई सुर्ख और गुलाबी मेहँदी के बूटे लगा रहा था .. उसी पल मेने तुम्हे सोचा और फिर आहिस्ता से कहा ... नए साल के नए दिन की नई नयी सी शाम में .... नयी राग और नयी नयी सी फिकरों में सिमटी इन लम्हों की महक मुबारक हो ... तुझे नया साल मुबारक हो तुझ से मेरा राब्ता कुछ यूँ भी है ... तेरी निगाह जब उठती है तो में मंज़रों में बिखर कर तेरे हर नज़ारे में ढल जाती हूँ..... इस शाम भी आसमान से ज़मीन के दरमियाँ इस शौख़ हवा ने मेरा हाथ थामा है ... में घुल गयी हूँ हवा में तू मुझे सुन रहा है ... में तुझे सोच रही हूँ तू मेरी इबारत हो तुझे नया साल मुबारक हो

My Sweet heart

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स्वीटहार्ट _ तुम्हे चलना नहीं आता केसे चल रही हो .... उमेर ने शाज़ी की कोहनी को थामा और तेज़ रफ़्तार के साथ रोड क्रॉस करने लगा ... शाज़ी उसे बगौर देखने लगी और दरमियाँ के डिवाइडर पर पहोंचते ही उमेर की सख्त गिरफ्त से अपनी कोहनी को आज़ाद करा प्यार से बोली ... कहीं बैठें एक ज़रूरी बात कहनी है .. शाम के ५ बज रहे थे आम तौर पर बड़े शहरों के अहम् रास्तों और बाजारों पर अमूमन रश होता है इस वक़्त .. रिक्शे ठेले तो अलग है इस रोड पर बड़ी गाड़ियाँ बसें ऑटो इस कद्र रश पैदा करते हैं के जेसे पैदल चलना तो जुर्म है अब ... और अगर बेदिहानी में कभी ज़रा सी चूक हो जाए तो जान की तो वेसे भी कीमत नहीं .....अजीब दौर है ...बिल्ली सामने हो तो एहतियात से ठहर कर फिर आगे बढ़ेंगे लोग ....और अगर इंसान हो तो चिल्ला कर साइड में हटायेंगे नहीं तो गाड़ी उपर ही चढ़ा देने में भी कोई हैच नहीं .... इन्सान ही तो है वेसे भी आबादी में तेज़ी से इजाफा हो रहा है कोई चला भी जाये तो किसे फर्क पड़ेगा ... वाकई बड़ा बेहिसी का दौर है ... क़ल्बी बेहिसी ... जेहनी बेहिसी .. जज्बाती बेहिसी ... रेस्ट्रों की टेबल के रूबरू मैं सामने के मनाज़िर में खो...