naya saal new year

तुझे नया साल मुबारक हो शफ्फाफ परों को पुर कैफ फ़ज़ा में लहरा कर ... शाम के सिरहाने वादी के उस पार ... जब आफताब ज़र्द हो कर आसमान की हथेली पर सुरमई सुर्ख और गुलाबी मेहँदी के बूटे लगा रहा था .. उसी पल मेने तुम्हे सोचा और फिर आहिस्ता से कहा ... नए साल के नए दिन की नई नयी सी शाम में .... नयी राग और नयी नयी सी फिकरों में सिमटी इन लम्हों की महक मुबारक हो ... तुझे नया साल मुबारक हो तुझ से मेरा राब्ता कुछ यूँ भी है ... तेरी निगाह जब उठती है तो में मंज़रों में बिखर कर तेरे हर नज़ारे में ढल जाती हूँ..... इस शाम भी आसमान से ज़मीन के दरमियाँ इस शौख़ हवा ने मेरा हाथ थामा है ... में घुल गयी हूँ हवा में तू मुझे सुन रहा है ... में तुझे सोच रही हूँ तू मेरी इबारत हो तुझे नया साल मुबारक हो