My Sweet heart
स्वीटहार्ट _
तुम्हे चलना नहीं
आता केसे चल रही हो ....
उमेर ने शाज़ी की
कोहनी को थामा और तेज़ रफ़्तार के साथ रोड क्रॉस करने लगा ...
शाज़ी उसे बगौर देखने
लगी और दरमियाँ के डिवाइडर पर पहोंचते ही उमेर की सख्त गिरफ्त से अपनी कोहनी को
आज़ाद करा प्यार से बोली ... कहीं बैठें एक ज़रूरी बात कहनी है ..
शाम के ५ बज रहे थे आम तौर पर बड़े शहरों के अहम् रास्तों और बाजारों
पर अमूमन रश होता है इस वक़्त .. रिक्शे ठेले तो अलग है इस रोड पर बड़ी गाड़ियाँ बसें
ऑटो इस कद्र रश पैदा करते हैं के जेसे पैदल चलना तो जुर्म है अब ... और अगर बेदिहानी
में कभी ज़रा सी चूक हो जाए तो जान की तो वेसे भी कीमत नहीं .....अजीब दौर है ...बिल्ली
सामने हो तो एहतियात से ठहर कर फिर आगे बढ़ेंगे लोग ....और अगर इंसान हो तो चिल्ला
कर साइड में हटायेंगे नहीं तो गाड़ी उपर ही चढ़ा देने में भी कोई हैच नहीं ....
इन्सान ही तो है वेसे भी आबादी में तेज़ी से इजाफा हो रहा है कोई चला भी जाये तो
किसे फर्क पड़ेगा ... वाकई बड़ा बेहिसी का दौर है ... क़ल्बी बेहिसी ... जेहनी बेहिसी
.. जज्बाती बेहिसी ...
रेस्ट्रों की टेबल
के रूबरू मैं सामने के मनाज़िर में खोने की नाकाम कोशिश में मसरूफ थी .... और उमेर
अपने मोबाइल के मेस्सेजेस से फरार पाने में ज़रा भी इन्टरेस्टटेड नहीं थे .... ये
मोबाइल शायद इसी लिए इजाद हुआ है के आदमी को तन्हाई का असीर बना दे ... साथ में
कोई बैठा उसकी तवज्जो का ख्वाहाँ है इस से ना आशना वो मीलों दूर वालों से राबता
बनाने में ज्यादा खुश है....मैं सोचती हूँ कि तरक्की ने इस दौर को कुछ दिया हो या
ना दिया हो एक घर में हज़ारों दीवारें और लाखों परदे ज़रूर दे दिए हैं जिनके दरमियाँ
की ख़ामोशी और घुटन बजाहिर महसूस नहीं होती ..... शायद लिए दिल और दिमाग की
बीमारयों में बेतहाशा इज़ाफा हुआ है ...
मेने उमेर का हाथ
थामने के लिए सामने मेज़ पर रखे चम्मच से गिलास पर आवाज़ की तो उनकी तवज्जो में खलल
हुआ .... क्या हुआ शाज़ी तुमने कुछ आर्डर किया या नहीं ....
नहीं अभी आर्डर करने
के लिए ही मेन्यु कार्ड देख रही हूँ मगर इस में वो है ही नहीं जो मुझे चाहिए ...
अरे ये क्या बात हुई
हम तो कई बार आये हैं यहाँ तुम्हे यहाँ का मंचूरियन तो पसंद है मिक्स वेज सूप भी
और वो तुम्हारा स्वीट कॉर्न पिज़्ज़ा ..... क्या नहीं हैं वो मेन्यु में ...
उमेर ने मेरी पसंद को इस रवानगी से पेश किया के
में सोचने लगी क्या मोबाइल में ये फीड किया हुआ था और उसे ही तलाशने में तुम मसरूफ
तो नहीं थे ... मुझे अपनी ही सोच पर हंसी आई और मैंने प्यार से उनका हाथ थाम कर
कहा ...
मेरे मेन्यु कार्ड में तुम्हारी तवज्जो तुम्हारी
बेलोस मुहब्बत और वो उन्सियत नहीं मिल रही जिसकी में हर लम्हा ख्वाहिशमंद रहती हूँ
....
ये केसे सोच लिया
शाज़ी ... क्या कहीं कोई कमी नज़र आती है तुम्हे ... उमेर की आँखों में सवालों ने
रक्स करना शुरू किया ...
कमी या बेशी नज़र नहीं आती उमेर अपने अहसास से
क़त्ल करती है .... मेने उमेर की आँखों में सवालों के जजीरे पर अपनी शिकायत का
परिंदा छोड़ दिया ...
मेने कभी तुम्हारे हाथ थामें बगैर कोई रास्ता
पार नहीं किया .. मेरे क़दम बढ़ने से पहले ही तुम हर दफा मुझे थाम लेते थे . मेरी
निगाह के उठने से कब्ल ही तुम आने जाने वाली रफ़्तार को पहचान लेते थे .... मुझे
कभी तनहा किया ही नहीं तुम्हे ना कभी ये सोचने पर मजबूर ही किया के मुझे कोई फैसला
तुम्हारे बिना भी लेना है ... और मेरी कोताही को तो तुमने कभी कोताही समझ कर कोई
रिएक्ट भी नहीं किया ... अब बताओ जब मेरा वजूद तुम्हारे बिना कुछ है ही नहीं तो
केसे आज में रोड पर तनहा चलने के बारे में सोचूं .... मेरी आवाज़ करब में डूब गयी
मुझे केसे चलना आएगा
उमेर में तो तुम्हारी परछाई हूँ तुम जहाँ हो में वहां हूँ मेरा तुम्हारे बिन कोई
वुजूद नहीं ....में सपाट चेहरे के साथ टेबल की तरफ देखने लगी ....
ज़िन्दगी में कभी कभी
तल्ख़ हो कर भी कुछ मीठे का लुत्फ़ आता है .... है ना.. उमेर ने मेरी बातों से सिरा
जोड़ने की कोशिश की .....
तुम मेरी परछाई नहीं
मेरा वजूद हो और में तुम्हारी परछाई हूँ शाज़ी .... क्यूँ की में पीछे हूँ इस लिए
तुम पर आज चिल्ला दिया मुझे महसूस हुआ कि मैं लम्हा भर को लाफहम क्या हुआ तुमने
अपनी परवाह भी नहीं की और चल दी .... क्या वजूद के बिना परछाई रह पाती है ... कोई
हक नहीं है तुम्हे लापरवाह होने की तुम्हे आगे क़दम बढ़ाने से पहले ही मेरा हाथ उसी
हक से थामना चाहिए जिस परवाह से में थामता हूँ ....उमेर की आखें नाम थीं ....
और में ये सोच कर फिर हैरान हो गयी ...... कौन
कहता है मर्द को समझना आसान है .. इन्हें समझना तो औरत से भी ज्यादा मुश्किल है.......
में खुद को परछाई समझती थी ... और ये मुझे अपना वजूद माने बैठे हैं .....
वन स्वीट कॉर्न
पिज़्ज़ा फॉर माय स्वीटहार्ट ...... उमेर ने आर्डर किया तो बेरा भी मुस्कुराने लगा
.....
वाह मेरे स्वीटहार्ट
.....
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