legend Sharmila Tagore kashmir ki kali

लेजेंड्स शर्मीला टैगोर बर्फ में लिपटी हुई और ओस से धुलि हुई ... कभी तेज़ धूप में पिघली पिघली सी .... किसी कोने में बारिश सी बरसती हुई ...और पत्तियों पर ढुलकती बूंदों सी ..... कभी रेत सी बिखरी तिश्ना सी ... कभी ज़र्द ज़र्द कभी सुरमई और स्याह सी भी......आह ज़िन्दगी.... वाह ज़िन्दगी ... वेसे ज़िन्दगी की ही तरह फ़िल्में भी इतने सारे रंगों को लिए होती हैं के फैसला मुश्किल हो जाता है के कब कौनसा रंग ज़यादा अच्छा लगा है .. वेसे मुझे तो कश्मीरी रंग ज्यादा पसंद है बर्फ बर्फ सा ठंडा ठंडा और हाँ उसमे अगर थोडा सा बंगाली सफ़ेद रोशोगुल्ला .. हहह हाँ सच्ची मुझे तो आज ये ही अच्छा लग रहा है .. अरे जब पूरी बात बताऊंगी तो आपको भी ये बेहद पसंद आएगा .... स्वागत खुशामदीद वेलकम जेबा ले कर आ गयी है आपके लिए लेजेंड्स... और आज का ये सफ़र आपको ज़रूर याद रहेगा ..... क्यूँ यहाँ कश्मीर की कलि कभी पुष्पा बनकर आंसू बहाएगी तो कभी आराधना चुपके चुपके अमर प्रेम की बयार में बह जायेगी कभी मौसम की तलाश में अनुपमा वक़्त से कहेंगी ये रात फिर ना आयेगी .. और फिर हर दास्तान दूरियां बन जायेगी .......