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Showing posts from October, 2017

Happy father's day

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पापा..... एक शाम ऑफिस से घर पहोंची हाँ पापा के घर .... जाने क्यूँ इसे कभी भी मम्मा का घर कहा ही नहीं .. पापा अपने रूम में लेते थे ... मेने करीब जा कर उन्हें देखा .. पापा अब उम्र के साथ बहने लगे हैं .... उनके बाल सफ़ेद हो गए , आँखों और चेहरे पर झुरिय्या , वो मज़बूत कंधे अब झुके झुके से हैं और वो मेरी ताक़त अब बोझिल सी कुछ थकी थकी सी हो गयी है .. पापा अब सीढियां चढते हैं तो थक जाते हैं ... अब घूमने जाते हैं तो पहले की तरह हमारे तेज़ क़दम से क़दम नहीं मिला ... पापा अब खा ना भी कम खाते हैं ... मीठा कम , मिर्ची कम और रात में तो आधी रोटी बचा देते हैं ... अख्बार, बेंक बुक चश्मा लगा कर देखते हैं... और सामान उठाते हैं तो थक जाते हैं .... पापा अभी भी सो रहे हैं जेसे कोई मासूम बच्चा .. मेरी आहट पर उठ गए और बोले आ गयी ..... हां पापा आगयी ... आज देर हो गयी... हाँ पापा काम था ना पापा ने मेरी थकन महसूस की और कहा .......मुझे फोन कर देती में आजा तुझे लेने ... पापा आई लव यू ... सच्ची ये पापा ही कह सकते हैं .. दिन भर के थके .... ओह्ह पापा आप बिलकुल नहीं बदले .... बिलकुल वेसे ही जेसे बचपन में ईद से पहले आपको...

Begum Akhter

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पानी को छू रही है झुक झुक के गुल की टहनी जेसे हसीं कोई आईना देखता हो आदाब ..... आज तो सुबह की रौनक ही कुछ और है   ... जानते हैं क्यूँ .... क्यूँ की आज मल्लीकाए गज़ल का दिन है ..  ... जी हाँ वही जिनकी सुरीली आवाज़ में हर राग और रागिनी शहद सी घुल कर मदमस्त हो जाती हैं .. जिनकी आवाज़ की खनक सबको ख्वाबों की सेर कराती है ..... वो कोई और नहीं फ़क़त बेगम अख्तर हैं ... और आज यानि ७ अक्टूबर को इसी शख्सियत की सालगिरह है 7 अक्टूबर १९१४ को फैजाबाद के एक घराने में पैदा हुई मासूम बच्ची जिसका नाम रखा गया अख्तरी बाई .... इस वक़्त कौन जानता था की ये बच्ची पूरी दुनिया में अपने फन के साथ पहचानी जाएगी ...... और गायेकी के आसमान का रौशन सितारा बन कर जगमगाएगी ..... ग़ज़ल जिस के लब पर रक्सां हो इतराएगी और गीत जिसके होंटों पर मन मंद मुस्कुराएंगे ...... बेगम अख्तर को कुदरत ने निहायत मीठी आवाज़ दी और छुटपन से ही उन्हें गाने का बेहद शौक़ था ..... और इसी लिए इनके चाचा ने इन्हें सारंगी के मशहूर उस्ताद इमदाद अली खान साहब के पास भेजा .... जहाँ ये गायेकी की बारीकियां वो सीख ...