एक तेरे ना होने से
एक तेरे ना होने से ....
एक तेरे ना होने से
कहीं भी मुझको चैन नहीं
ज़हन को मेरे तस्कीन नहीं
कही दिल में खलिश है बाक़ी
कहीं तेरी आवाज़ का शैबा
कहीं तेरे अंदाज़ की प्यासी
टुकड़ा टुकड़ा तुझको ढूँढूं
खैरा खैरा तुझको पाऊं
क़तरा क़तरा तुझ में खो कर
केसे अपनी मंजिल पाऊं
जागूं तुझमे तुझ में सौउं
तेरे लम्स के एहसासों में
लम्हा लम्हा केसे रोऊँ
मेरी आँखें जेसे सावन
मुत्लाशी सी बरसी जाएं
फिर भी तुझ को तुझ से मांगूं
दुआ ये मेरी सूनी जाए
चल अब बांध पोटली राह पे अपनी फिर मुढ़ जाऊं
नैना मेरे तुझको पालें फिर इनमे वो दीप जलाऊं
एक तेरे ना होने से
कहीं भी मुझको चैन नहीं ......
जेबा ......
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