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Showing posts from September, 2017

Chand

         रात का अनकहा सा फ़साना ..... रात जिसके पहलू में चाँद जागा रात भर ज़मीन को तकता रहा ... और ज़मीन इधर से उधर सूरज के चक्कर लगाती रही ... और रात का नन्हा  चाँद   इस ज़मीन के पीछे पीछे दौड़ता रहा ..... कभी आधा दिखा तो कभी पूरा तो कभी एक तिहाई ... लेकिन ज़मीन तो जेसे सूरज पर मर मिटी थी .... उसे ना अपनी खबर ना रात की  ना भोले चाँद की ....अब चाँद दिल की बात कहे तो केसे कहे ... शायद आज रात वो बात कह भी दे .......          मालूम नहीं चाँद अपनी बात कहेगा या नहीं ... लेकिन आप ... आप तो अपनी बात आज रात कह ही दीजिये ....... शायद किसी को आपसे वो बात ही सुनने का इंतज़ार हो ... वो चाशनी से घुले लफ्ज़ जिन में भीग कर कोई अपने आप को भुला बैठे .... रात सुहानी भी भी होगी और दिल फरेब भी .. कहीं ये रात भी और सेंकडों रातों की तरह ढल ना जाये .....

बारिश सुनो तो

बारिश सुनो तो  बढ़ी इतरा रही हो .. झमाझम बरस रही हो .... बादलों में छुपी आसमान की ओट से ज़रा अपना ये सुरमई घूँघट हटाओ और देखो तो कहाँ कहाँ तुम्हारी मोहब्बत के घुंघरू बज रहे हैं ... मेरी छत पर , खिड़की के कांच पर दादा के लोहे के पलंग पर ... नानी के अचार के मर्तबान पर,अम्मी की सूखती लाल मिर्चों पर ...तो भाभी की लहेरिया साड़ी पर भी भाई की गाड़ी पर भी, सुबह से रास्तों पर,चौराहों पर,मस्जिद के गुम्बद  पर ,और मंदिर की देहलीज़ पर, हलवाई की कढ़ाही के चारों तरफ,मालनों की सब्जियों के ढेर पर, केसे बरस रही हो ...बारिश तुम तो बिजली के तारों पर दुबके कबूतरों के परों पर तो नीम, अमिया, बुग्न्बेला, मोगरा और गुलाब पर भी, और जाने कितने सारे लाखों पौधे .... नदी पर भी बाँध पर भी, पुल पर, रेल पर ,नल पर कुए पर भी ,खेत पर तालाब पर सूखे सूखे दरकते मैदानों पर ,ऊँचे खामोश खुरदुरे पहाड़ों पर, हाय बड़ी इठला कर बरस रही हो ... वो देखो रिक्शे पर बेठे स्कूल के बच्चों पर और उनके बेग पर भी ,कॉलेज की लड़कियों पर और बेफिक्र लड़कों पर भी , महल से ले कर झोंपड़ी तक शहर से ले कर गाँव तक और उसके पास वाली ढाणी तक सबको भिगो रही हो...

पल दो पल का महबूब

भोली सूरत वाला एक बच्चा बहुत दिनों से कुछ चुप चुप था मैने पास बैठ कर उसके घुंगराले बालों में उंगलियां फेरते हुए पूछा के हो गया यारा सुस्त सा था मेरी गोद में सर रख कर आहिस्ता से बोला थक गया क्यूँ ऐसा क्या किया तुम नहीं समझोगी रहने दो .......और ये कह कर उसने आँखें मूँद लीं में उसे बगौर उसे देखती रही शादी से पहले ये नौजवान लड़का कितना बड़ा और समझदार लगता था और फिर कब दो प्यारी प्यारी सी बेटियों का पापा बन कर भी  छोटा बच्चा सा बन जाता है ...... और जब आवाज़ आती है किसी कमरे से पापा कहाँ हो आप तो ये पापा बन जाता है में मुन्तजिर हूँ अपने शोहर के दीदार की  लेकिन अब या तो बच्चा है या पापा और पल दो पल का महबूब भी 

This is love

पता है मैं उसके इश्क में खुद को बच्ची में बदल देना चाहती हूँ ... जब मैं खुश होऊं तो वो मुझे प्यार करे ... और जब मैं रोऊँ तो उसके कुर्ते से आंसूं पोछु और सिम्ट जाऊं उसकी गोद में ... जेसे छोटी बच्चियां अपने पापा के साथ ख़ुद को ... हर ग़म से बाज़ रख लेती हैं ..... जब मैं कुछ चाहूँ तो मेरी आँखों की चमक वो समझ जाए ... और जब मैं खाना ना खाने का बहाना करूँ बहाने से ... तो वो निवाले बना कर मेरे सामने इसरार करे ..... मेरी बिखरी जुल्फों को कंघी से सँवारे और जब मैं कुछ ख़ास करूँ तो तारीफ बेइख्तियार करे ....... मैं तेरे इश्क में खुद को बच्ची में बदल देना चाहती हूँ ... मगर मेरी जान ..... तुम जब भी मेरे साथ होते हो ..... तो मेरे सोचने से पहले ही ...... तुम खुद ही एक छोटे बच्चे से बन जाते हो ... और लो मुझे बड़ा बना देते हो .....hahaha This is love same to same

सबब

आ गयी तुम्हारी याद फिर से लौट कर मेरे सूने दिल के खंडरों से आज की रात लो ओढ़ ली तेरी बिसरी बातों की कबा कल फिर लोग मेरी सूजी सूजी आँखों का सबब पूछेंगे   

मीरा जैसी

तुम आसमान से मैं पानी सी तुम हवा से और मैं बादल सी तुम चाँद से और मैं रात सी तुम थकन से मैं जगन सी तुम लगन से मैं अगन सी तुम कमल से मैं जल सी तुम जाने कैसे कैसे और में बस तुम जैसी भीगी.डूबी,खोई,इठलाई, जागी,अधीर,और चंचल सी प्रेम का प्याला पिए एक बावरी   बोलो ......थाम सकोगे क्या हाथ मेरा उस पल में  भी जब मैं हो जाउंगी मीरा जैसी