पल दो पल का महबूब
भोली सूरत वाला एक बच्चा बहुत दिनों से कुछ चुप चुप था
मैने पास बैठ कर उसके घुंगराले बालों में उंगलियां फेरते
हुए पूछा
के हो गया यारा
सुस्त सा था मेरी गोद में सर रख कर आहिस्ता से बोला
थक गया
क्यूँ ऐसा क्या किया
तुम नहीं समझोगी रहने दो .......और ये कह कर उसने आँखें
मूँद लीं
में उसे बगौर उसे देखती रही
शादी से पहले ये नौजवान लड़का कितना बड़ा और समझदार लगता था
और फिर कब दो प्यारी प्यारी सी बेटियों का पापा बन कर भी
छोटा बच्चा सा बन
जाता है ......
और जब आवाज़ आती है किसी कमरे से
पापा कहाँ हो आप
तो ये पापा बन जाता है
में मुन्तजिर हूँ अपने शोहर के दीदार की लेकिन अब या तो बच्चा है या पापा
और पल दो पल का महबूब भी
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