बादाम
खाने से उतनी अक्ल नहीं आती, जितनी धोखा खाने से आती है।
ह्हहा वाकई ...ज़िन्दगी आपको जब कुछ सबक दे तो
उसे गौर से सुनिए क्यूँ की अक्सर अनसुनी बातें ही काम की होती हैं..... और ना सुन
कर हम हमारा नुकसान कर जाते हैं ..... दर असल हमारी आदत हो गयी है हम खुद को जाने
क्यूँ बोहोत स्मार्ट समझते हैं जेसे हमे सब मालूम है ..... लेकिन साहब ये ज़िन्दगी
है और यहाँ कब कौनसी बात कहाँ और केसी करवट ले मालूम नहीं .... इस लिए चेलेंजेज़ के
लिए तो हमेशा रेडी रहिये मगर ज़रा सोच समझ कर..... ज़रा सा फायेदा देख कर उतावले
होना भी तो सही नहीं .... वो कहते हैं ना
पानी ठंडा देख कर छलांग लगा देना अक्लमंदी नहीं उसकी गहराई भी मालूम करना लाज़मी है
... वरना आप डूब भी सकते हैं ..... हर पल जो भी गुज़रे उसे सीख कर समझ कर अपनी
एक्सपीरियंस की पोटली में डाल लीजिये या फिर तजुर्बे कार लोगों की महफ़िल में भी
वक़्त गुज़ारिये .....और आप खुद महसूस करेंगे की आपको इस से बहुत फायेदा होगा ... आप
जितना ज़िन्दगी में तजुर्बा हासिल करते जाते हैं उतना ही ज़िन्दगी आपको अपने खट्टे
मीठे तीखे फ्लेवर्स में से हर जायेका चखाती चलती है ... और आप एक वक़्त बाद इतने मझ
जाते हैं के “लिफाफा
देख कर मज़मून भांप लेते हैं” ..... मतलब दूर से ही देख कर
समझ जाते हैं ज़िन्दगी जितनी आसान दिखती है वो उस से भी कहीं ज्यादा आसान है... अगर
आपने उसकी राहों पर सही तरीक़े से संभल कर समझदारी से चलना सीख लिया तो .... फैसला
कीजिये मगर जल्द बाज़ी में नहीं और भरोसा कीजिये मगर बेहवासी में नहीं .... और बस
जियो ज़िन्दगी मज़े के साथ ... हैप्पी लाइफ
@ जेबा
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